इस बात में कोई दो राय नहीं है कि देश और दुनिया भर में अब बेटियां बेटों के मुकाबले अधिक उन्नति कर रही हैं. भले ही वह फिल्म जगत हो खेल जगत हो या फिर पॉलिटिक्स, हर क्षेत्र में लड़कियां अपना करियर बनाकर कामयाबी के शिखर तक पहुंच रही हैं. बात अगर पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की करें तो यहां पर आज भी बेटियों को उतनी आज़ादी नही मिल पाई है जितनी कि भारतीय बच्चियों को मिल चुकी है. इसके अलावा पाकिस्तान में रहने वाले हिंदुओं पर होने वाले जुल्म भी किसी से छिपे नही हैं. इस बीच पाकिस्तान से एक बड़ी खबर सामने आई है. जहां 73 साल बाद जाकर एक हिंदू लड़की ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है. इस लड़की ने पाकिस्तान का सबसे कठिन एग्जाम पास कर लिया है.
बता दें कि पाकिस्तान में रहने वाली 27 वर्षीय डॉ. सना रामचंद्र गुलवानी ने सेंट्रल सुपीरियर सर्विसेज की परीक्षा क्रैक मई के महीने में ही कर ली थी परंतु अब उन्हें अपॉइंटमेंट पेपर पर भी मुहर लगा दी गई है. आपकी जानकारी के लिए बताते चलें कि जिस प्रकार भारत में यूपीएससी की परीक्षा को सबसे कठिन माना जाता है ठीक उसी तरह से पाकिस्तान में यह जाम सबसे मुश्किल एग्जाम में से एक है. पड़ोसी मुल्क में इस एग्जाम के चलते प्रशासनिक सेवाओं यानी एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेज में नियुक्तियां की जाती हैं. कुल मिलाकर आप इसे भारत की सिविल सर्विसेज की तरह ही मान सकते हैं जिसे यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन आयोजित करती है.
अप्वाइंटमेंट लेटर पर मुहर लगने के बाद सना ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा, ” वाहेगुरु जी का खालसा वाहेगुरु जी की फतेह… अल्लाह के फजल से मैंने सीएसएस का एग्जाम क्लियर कर लिया है.” बता दें कि पाकिस्तान में होने वाले सीएसएस एग्जाम में हर साल केवल दो प्रतिशत कैंडिडेट ही कामयाबी हासिल कर पाते हैं. वही सना द्वारा दिया गया यह एग्जाम उन्होंने पहले ही अटेम्प्ट में क्लियर कर लिया था.
मई में रिजल्ट तो सितंबर में हुई नियुक्ति
जानकारी के लिए बताते चलें कि सना ने यह परीक्षा मई महीने में पास की थी परंतु उनकी नियुक्ति पर अभी सितंबर में मोहर लगाई गई है. गर्व की बात यह भी है कि पाकिस्तान में पिछले 73 सालों के बाद अब जाकर एक पहली हिंदू महिला अफसर बनी है. सना ने 5 साल पहले बेनजीर भुट्टो मेडिकल यूनिवर्सिटी से मेडिकल डिग्री हासिल की थी. सना गुलवानी के अनुसार उनके पेरेंट्स कभी नहीं चाहते थे कि वह प्रशासनिक सेवाओं में जाएं. वह हमेशा से उन्हें डॉक्टर बनता देखना चाहते थे. परंतु सना का ध्यान हमेशा से प्रशासनिक सेवाओं में ही रहा था. गौरतलब है कि सीएसएस कि यह परीक्षा इतनी कठिन है कि इसमें हर साल कुल कैंडिडेट्स में से केवल 2% ही लोग पास हो पाते हैं. सना की इस उपलब्धि पर भारत देश भी उन्हें सलाम कर रहा है.